प्रेम कहने से नहीं हुआ कभी प्रेम जताने से भी नहीं जताया जा सका कभी।
प्रेम को आँका नहीं जा सका सारे समीकरण विश्लेषण अंततः प्रेम के आगे घुटने टेक देते है।
प्रेम नहीं होती दिमाग की उपज, प्रेम होती है दिल की फसल। जिसे काट कर आप उगाही नहीं कर सकते।
ये फलती फूलती है, खर पतवार की तरह बिना, अपना आगा पीछा सोचे, तब तुम चाहो इसे वश में करना ।
तो सुनो,
प्रेम तुम्हें दुःख ही देगा! प्रेम को बहने दो, प्रेम को उड़ने दो, प्रेम को जाने दो, रुका हुआ जल, थमी हुई पवन, दुखदाई है!
जाने दो मत बाँधो !!! "तनु"
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