Adhyayan

Saturday, 12 December 2020

टीस

ख़ु्शी, मुस्कुराहटें
टीस की फिर आहटें
पुलकित हुआ तभी
मन ने आंसूओं के
हज़ार मोती चुगे!

रात भर, रात पर सोचती रही
दर्द का उठाए हल, 
निज-मन को जोतती रही

शायद ख़ुशी उगे!

रात गई
खुला सुबह का बाड़ा
सह लिया, था मन में दर्द समाया
रात्री-वृक्ष ने वेदना-फूल

और फल दिये!

सुबह हुई
हमनें रात को झाड़ा
तह किया, बगल में उसे दबाया
पथ के निहारे शूल

और चल दिये!
खुशी से खुशी की तलाश में चल दिये, फिर से चल दिये ! "तनु"

No comments:

Post a Comment