Adhyayan

Friday, 18 December 2020

बारकोड

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             बारकोड 

बारकोड जीवन की समानता...
बारकोड खड़ी काली-सफ़ेद पट्टियों से बना होता है इसमें उत्पाद के बारे में जानकारी छुपी होती है जिसे कम्प्यूटर पढ़ सकता है।

ज़िन्दगी एक बारकोड है
दिखती सबको है
जीते भी सब हैं
समझना सब चाहते हैं
पर जो सामने है
वो सच नहीं है
और जो सच है
वो नज़र नहीं आता!
जो दिखता है
वो अर्थहीन है
जो महत्तवपूर्ण है
वो खुद को है हमसे छिपाता!

कभी खुश, कभी सुख, कभी दुख की छाया जैसी
काली पट्टियाँ घेर लेती हैं
तो कभी सुख की धूप
सफ़ेद पट्टियों का रूप लेती है
कुछ पट्टियाँ पतली हैं
तो अनेकों काफ़ी मोटी हैं
इसीलिए सुख-दुख की अविधि
कहीं लम्बी कहीं छोटी है

ज्ञानीजन बतला गए हैं
जीवन तो एक क़ैद है
कारागार है, एक पिंजरा है
बारकोड को ध्यान से देखो
सलाखें दिखती हैं जैसे यह
अपनी ही क़ैद का कमरा है

जीवन की तरह ही बारकोड भी
इक छोर से शुरु होता है
काली-सफ़ेद पट्टियों के बीच
गुज़रता हुआ हरेक इंसान
कभी हंसता है कभी रोता है
बस यूं ही आगे बढ़ते हुए
बारकोड समाप्त हो जाता है
क़ैद भी टूट जाती है
जीवन का अंत हो जाता है

भगवान भी एक बारकोड है
और उसके सारे बंदे भी
ना भगवान समझ में आता है
ना इस संसार के धंधे ही

जीवन भर सुख और दुख का
एक क्रम-सा चलता रहता है
जीवन तो नाम है केवल
सुख-दुख इन रेखाओं का
सीधी बात सी सीधी रेखाएँ
इनमें नहीं कोई मोड़ है
तभी तो अक्सर लगता है कि

ज़िन्दगी एक बारकोड है

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