सुनो, तुम हो सहेली सूरज की, अपनी चाल बढ़ा...
आसमान की चौखट पर तू कूची फिरा, रंग रात को अलख जगा और वो रंग भी हो तो दिन का नूर!
साये भी अब धमक चले, जो गर तुझको हो मंजूर तो ,
तूफां बन कर बेहिस उड़ा दे, चढ़ जाए ऐसा फितूर,
चाहे टेढ़ी हो गोटियाँ, या अड़े हो पासे, पर तू जम जा जिद्दी जोर,
अपने हाथों की तंग लकीरों से चल आगे, पेंच लड़ा चल 'तनु',
आसमान की सीरत पर कूँची चला और जम कर मुलाकातियों से हिम्मत के पेंच लड़ा !!!
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