ADHYAYAN (अध्ययन)
Adhyayan
Saturday, 25 April 2020
मौन आकर्षण
उस गजरते समुद्र परलौटती लहरों का ठंडापनविंहगम सा पट जो खुला है,
अंतिम क्षितिज तक बेचैन मन का कोई कोना स्थिर करता है।
मैं आत्महत्याओं के साथ वहाँ पहुँचती हूँ ।
विषाद के विचलित दिन लिएउद्विग्नता के पल।
हिलोरें सागर पर वाष्प से हो चले, विलुप्त विस्मृत...
यह आकर्षण है
मौन आकर्षण...
तिर जाती है आत्महत्या स्वतः ही !
मगर यह आनंद नहीं, शून्य सा है, जिसमें निडवता है, रिक्तता है।
प्रेरणा है वैराग्य सी।
जिसके विपरीत प्रभाव से जीवन पुनः पुनः लौट पड़ता है जीवन पीछे।
भर जाती है एक और आत्महत्या।
तिरोहित होने को साधना के उस तट पर ,
जो गरजता है दिंगत तक। क्षितिज के एक छोर से दूसरे तक
।।।
2 comments:
vineet upadhyay
25 April 2020 at 03:14
सुंदर शब्द👍👌
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Unknown
25 April 2020 at 05:46
हार्दिक धन्यवाद 🙏🏻💐
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सुंदर शब्द👍👌
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद 🙏🏻💐
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