Adhyayan

Friday, 10 April 2020

मधु

चाहे जितना सुख मिलता है 
शहद में डूबी उँगलियों को चाटने में
कड़वाहट उतनी ही होती है
(मधुमक्खियों) के घर के उजड़ जाने की।

अपनी प्रेमिकाओं को भेजे पहले संदेश से, दुनिया के तमाम प्रेमियों के द्वारा
बटोर लिया जाता है शहद 
कि जितना रस, दुनिया के तमाम फूलों में भी नहीं होता ।

एक अकेला पेड़ रह जाएगा
इस सृष्टि के विनाश के बाद। 
जिसके ऊपर मधुमखियों का छत्ता है,
और उसमें मौजूद है इतना शहद, 
जो पृथ्वी के तीन भाग में फैले खारे पानी के महासागरों को मीठा कर सके 

ईश्वर फिर अपने खेल के लिए रचेगा,
इस सृष्टि के अंत के पश्चात
आदम और हव्वा ,
इस बार लेकिन वो होंगे केवल, 
 मधुमक्खियाँ
जिनसे खुदा करेगा रसपान,
जो फूलों के रस से बनाएंगी शहद

तब मौजूद नहीं होगा कोई इंसान
कि उठा कर फेंक सके पत्थर, 
और उजाड़ सके किसी का घर,
और फिर आराम से बैठ कर चाट सके,
शहद में डूबी अपनी कातिल उँगलियों को ।।

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