Adhyayan

Friday, 30 June 2023

समीकरण

#ज़िंदगी

मांस का धड़कता, कुछ सौ ग्राम लोथडा़
भारी होकर एक कोने में , पसलियों में टकराता, अटका सा, पीड़ा देता हुआ !
बाज़ुओं में रक्त प्रवाह भी ठंडी तकलीफ देता हुआ प्रतीत होता है ! 
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एक सीध में 
जब रखे गए तर्क और तक़ाज़े 
दलीलें और जिरहें
तो उनको 
मान लिया जाए ? 

और कदाचित् 
कोई ग्लानि ही रही होगी मन में 
कि उन औरों से अधिक त्वरा से माना
जिन्होंने कभी चाही ही नहीं थीं 
कोई सफ़ाइयां.

स्वयं से कहा-
मैं स्वांग करने को विवश हूं!
और तब ऐसा स्वांग रचाया 
कि उसी पर कर बैठे 
पूरा भरोसा!

फिर आत्मरक्षा में कहा-
और विकल्प ही क्या था?
और यह सच था कि कोई और 
सूरत नहीं रह गई थी
किंतु दु:खद कि इतने भर से
मरने से मुकर गए 
अकारण के दु:ख! 

दुविधा ये थी कि 
एक सीध वाले समीकरणों को 
सत्यों की तरह स्वीकार 
कर लिया जाता

जबकि अधिक से अधिक
वो इतना ही बतलाते थे कि
वरीयता का क्रम क्या है!

और ये कि 
क्या क्या बचाने के लिए 
मुफ़ीद रहेगा नष्ट कर देना 
क्या कुछ और!

तुम या मैं...

क्यों, क्यों नहीं सत्य कह सकते हैं।
जबकि झूठ सजा सँवार कर कहा।
क्या पहले नहीं बताया कि छला गया है कई बार अब और नहीं, बस! 

और अब... 
घटनाक्रम और मैं स्वांग करने के लिए लाचार हूँ ।

क्यों, क्या सिर्फ इसलिए कि देखते हैं सब ?

तुम्हारी चाहत

अलख

थोड़ा थोड़ा करके,
सचमुच मैंने पूरा खो दिया है तुम्हें,
जिद्दी हो तुम,
पछतावा है मुझे तुम्हें खोते देखकर भी...
कुछ कर न पायी! 
आँखे सूनी हैं मेरी, 
जिन्हें नहीं भर सकती असंख्य तारों की रोशनी भी।
और न ही है कोई हवा मौजूद इस दुनिया में।
जो महसूस कर सके उपस्थिति तुम्हारी।
एक भार जो दबाए रखती थी
हर पल प्रेम के आवेश को,
उठ गया है, तुम्हारे न रहने से।
अब कितना हल्का महसूस करती हूँ मैं
तिनके की तरह
पानी में बहते हुए।
और फिर रूप बदल कर तुम्हारा आना
शांत झील में पत्थर मार दिया हो जैसे ।।।

An old writing...
Written in 2009

Saturday, 24 June 2023

पीठ जलाता सूर्य

पीठ पर प्रखर सूर्य से लंबवत बढ़ती परछाई... 

मैं नाप चुकी गांव, शहर, मैदान, सागर और आकाशगंगाओं के व्रहदतम आकार ।

 युगों से घोर कृष्ण पक्ष,

अवतरित पीठ जलाता.!!! 
सूर्य भूल चुका पश्चिम अवहोरण ।
 लौटकर अवश्य .. 
अपने अंतिम व्रत पर करेगा पूर्ण ग्रहण ! 

सूर्य निगल लेगा तुम्हें।। 

और अतंत तुम्हारे ताप के लंबवत अवरोध से बढ़ती परछाई मेरी।.   ...... "तनु"