Adhyayan

Monday, 28 February 2022

सफ़र

अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं।
रूख हवाओं का जिधर है उधर के हम हैं

हम दौड़ में अव्वल आयें ये ज़रूरी नहीं,
हम सबको पीछे छोड़ दें ये भी ज़रूरी नहीं।
ज़रूरी है  दौड़ में शामिल होना,
ज़रूरी है हमारा गिर कर फिर से खड़े होना।
ज़िन्दगी में इम्तेहान बहुत होंगे,
आज जो आगे हैं कल तेरे पीछे होंगे।

बस हम चलना मत छोड़ें,
बस हम लड़ना मत छोड़ें !!!

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