Adhyayan

Monday, 16 November 2020

इजाज़त

इतने पराये तो  कभी न थे, 
कि दरवाजा, मेरा तुम खट-खटाओ। 
जब इजाजत मिले, तभी तुम 
दहलीज लाँघों के अन्दर को आओ। 
दूरी का ऐसा तकाजा करो, 
कि रहकर खड़े तुम मुस्कुराओ। 
मैं आगे बढूँ जो मिलने तुमसे, 
तुम हाथ अपना आगे बढ़ाओ। 
मैं आगे बढूँ  एक कदम हक समझकर, 
तुम दो कदम पीछे हो जाओ। 
दहलीज पर हो कर खड़े फिर, 
अपना मुझे कोई  परिचय बताओ। 
तुम इतने पराये तो कभी न थे, 
कि दरवाजा मेरा तुम खट-खटाओ ।।।

❤️

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