Adhyayan

Friday, 27 November 2020

घुमक्कड़ी

#आत्मचिंतन #घुमम्कड़ी 

घुमक्कड़ी हमें कहीं वाह्य दुनिया में नहीं बल्कि अपने भीतर ले जाती हैं।

यात्राएं, हमें हमारे अपने ही दिल-दिमाग के गलियारों और मन के अंदर न जाने कितने परतों में बसे स्मृति पटल पर लम्हा लम्हा गुजरते हुए ले जाती हैं ! 
प्रकृति के साथ बीते लम्हों के कितनी यादों को ताजा कर देती है।
तब लगता है कि खुद के साथ कितने दिन से नहीं रहे थे । अपने साथ, दुनिया भर की बातों और किस्सों के बीच कहीं भूल गये खु़द को ।
कब से रोया नहीं था, खुद के के लिए, जब किसी ने रूलाया तो रो दिए औरों के कर्मों को खुद का मान लिया।
      कब से खुद के लिए हँसे नहीं थे , कुछ याद नहीं आ रहा कि जिसे सोचकर बरबस ही होंठों पर मुस्कान आ जाए।
हँसी खो चुके थे, सबका साथ देते देते। 
        यात्राएं और यायावरी खुद को तलाशती हैं, गहराई और स्थिरता लाती हैं।
कि आज भी लगा है कुदरत मैं और एक हो गये हैं ।
बरबस मेरी मुलाकात मेरी मुस्कान से हो गयी।

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#SRI #Self_Reliance_Initiative

Monday, 16 November 2020

इजाज़त

इतने पराये तो  कभी न थे, 
कि दरवाजा, मेरा तुम खट-खटाओ। 
जब इजाजत मिले, तभी तुम 
दहलीज लाँघों के अन्दर को आओ। 
दूरी का ऐसा तकाजा करो, 
कि रहकर खड़े तुम मुस्कुराओ। 
मैं आगे बढूँ जो मिलने तुमसे, 
तुम हाथ अपना आगे बढ़ाओ। 
मैं आगे बढूँ  एक कदम हक समझकर, 
तुम दो कदम पीछे हो जाओ। 
दहलीज पर हो कर खड़े फिर, 
अपना मुझे कोई  परिचय बताओ। 
तुम इतने पराये तो कभी न थे, 
कि दरवाजा मेरा तुम खट-खटाओ ।।।

❤️