Adhyayan

Thursday, 27 August 2020

परछाई

#परछाईं... 
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पीठ पर प्रखर सूर्य से.. 
लंबवत् बढती परछाईं.. 
नाप चुकी, गाँव, शहर, मैदान, सागर..
और आकाशगंगाओं के वृहदतम आकार.. 
युगों से घोर कृष्ण..। 
अविरत पीठ जलाता सूर्य.. 
भूल चुका पश्चिम अवरोहण...।
लौटकर अवश्य.. 
अपने अँतिम वृत्त पर करेगी पूर्ण ग्रहण.. 
सूर्य..,निगल लेगी तुम्हें.. 
अँततः.. 
तुम्हारें ताप के लंबवत्.. 
अवरोध सी बढती परछाईं मेंरी...।
                           "तनु"  20/08/2015

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