Adhyayan

Thursday, 27 August 2020

आते जाते

#यादें 
यू तो हर रोज सर्दी /गर्मियों की तरह आती जाती तुम्हारी यादें 
ये तो यादें हैं जो मेरे अख्तियार में है कि आती है! काश तुम भी होते।।। 
दर्द हो तो /खुशी हो तो /
तुम भी मेरे अख्तियार में होते तो बाँध ही लेती तुम्हें भी/
ताबीज बना के पहन लेती। 
क्या क्या जतन करे मैंने कि तुम मेरे रहो /पीर/फकीर, गंडे-ताबीज, खुदा-भगवान।  
कहते हैं कि रूक जाते हैं जाने वाले,
पर तुम तो रोकने वाले के ही बुलावे पर थे। 
सोने की कोशिश करती हूं कि मेरे ख्वाबों में आती तुम्हारी तस्वीर, हल्की खुली आँखों से तुम्हें महसूस करती हूं फिर कस के आँखे बंद करती हूँ कि गुम ना हो जाओ कहीं। 
क्या सच में कभी तुम्हें देख पाऊँगी, वहम भी क्या है कि तुम आज भी मेरी रूह में समाये हो। महसूस होते हो, साथ में।।। 
लोग कहते हैं कि ना याद करो जाने वाले को, कोई बताओ कैसे समझा सकते हो/ 
खुदा मेरे, तेरा दिया दर्द शिद्दत से संभाले हूँ मैं। 
जीते जी भी तो लोग जाते हैं, एक उम्मीद छोड़ कर,कि फिर मिलेंगे कभी। 
दूर से लोगों को तकती हूँ, कि तुम होते तो शायद ऐसे होते, तुम ये करते, तुम वो करते। 
पर तुम..... 
बस तुम और तुम। 
तुम्हें पता है कि किस कदर दर्द के अंधेरों में घुट गई है सांसे ये
क्या तुम मिलोगे कभी?

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