Adhyayan

Friday, 29 May 2015

एक जननी एक पुत्री

~एक जननी, एक पुत्री~

जन्म तुझे दे के जननी,
पीड़ा दुख: जन्मने का बिसरा दे,
उसका तो तू ही संसार,

तेरे नन्हें हाथों के स्पर्श से मन के घावों को सहला ले,
क्या हुआ जो पुत्री जन्में, संसार को तू रचने वाली,
माँ तुझे जाने, बहन, बेटी, पत्नी भी,

ओ बेटों की दुनिया वालो मुझे जानो, मुझे पहचानो
बेटे की चाह में मुझे ना मारो,

जननी ही तेरी जब  चाह में बलि चढ़ जाये,
तुम्हारी चाहत सिर्फ चाहत ना रह जाए.

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