Adhyayan

Tuesday, 28 June 2022

जिंदगी

#ज़िंदगी

मांस का धड़कता, कुछ सौ ग्राम लोथडा़
भारी होकर एक कोने में , पसलियों में टकराता, अटका सा, पीड़ा देता हुआ !
बाज़ुओं में रक्त प्रवाह भी ठंडी तकलीफ देता हुआ प्रतीत होता है ! 
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एक सीध में 
जब रखे गए तर्क और तक़ाज़े 
दलीलें और जिरहें
तो उनको 
मान लिया जाए ? 

और कदाचित् 
कोई ग्लानि ही रही होगी मन में 
कि उन औरों से अधिक त्वरा से माना
जिन्होंने कभी चाही ही नहीं थीं 
कोई सफ़ाइयां.

स्वयं से कहा-
मैं स्वांग करने को विवश हूं!
और तब ऐसा स्वांग रचाया 
कि उसी पर कर बैठे 
पूरा भरोसा!

फिर आत्मरक्षा में कहा-
और विकल्प ही क्या था?
और यह सच था कि कोई और 
सूरत नहीं रह गई थी
किंतु दु:खद कि इतने भर से
मरने से मुकर गए 
अकारण के दु:ख! 

दुविधा ये थी कि 
एक सीध वाले समीकरणों को 
सत्यों की तरह स्वीकार 
कर लिया जाता

जबकि अधिक से अधिक
वो इतना ही बतलाते थे कि
वरीयता का क्रम क्या है!

और ये कि 
क्या क्या बचाने के लिए 
मुफ़ीद रहेगा नष्ट कर देना 
क्या कुछ और!

तुम या मैं...

क्यों, क्यों नहीं सत्य कह सकते हैं।
जबकि झूठ सजा सँवार कर कहा।
क्या पहले नहीं बताया कि छला गया है कई बार अब और नहीं, बस! 

और अब... 
घटनाक्रम और मैं स्वांग करने के लिए लाचार हूँ

क्यों, क्या सिर्फ इसलिए कि देखते हैं सब ?

Sunday, 19 June 2022

महा निर्वाण

बिलखती जिंदगियों को देख
माया खत्म होने लगी और 
अनायास तुम मेरे सामने आ गये

हे तथागत!!
हे बुद्ध!!
हाँ जान गयी मैं,
कैसे विमुख हुए होगे तुम?
दुख -पीड़ा
मोह माया 
जीवन- मृत्यु
जय-पराजय
इहलोक-परलोक
जन्म-पुनर्जन्म
प्रस्थान-आगमन
इहकाया-पराकाया
के मोह से  कैसे मुक्त हुए होगे।
अपने प्राणों से प्रिय आत्मनों को घर में छोड़ते हुए पीड़ा तो तुम्हें भी महसूस हुई होगी। 

अपने पीछे कितना कुछ छोड़ गए तुम!!
दुख से घबराकर तुम्हारा पलायन।

महाभिनिष्क्रमण!!!
सत्य की खोज....
और अंत में
बुद्ध हो जाना
हे देव 🙏
मन में यही भाव मेरे भी आया।

नहीं संभव है मेरे लिए!!
कैसे पूर्व नियोजित प्रारब्ध से आश्रितों को जानबूझकर छोड़ा जा सकता है ?
यह संभव नहीं है, 
शायद किसी के लिए भी नहीं
क्योंकि इतिहास की
पृष्ठभूमि  पर न जाने
कितने शुद्धोधन,कितनी गौतमी और कितनी यशोधराओं के अश्रुओं की गाथा,
किसी एक बुद्ध को जन्म देती है!!!
नमन है आपके चरणों में 
हाँ,
प्रण लिया अगर इस जीवन में
कुछ होंठों पर मुस्कान सहेज संकू
किसी की भूख को रोटी परोस सकूं
और किसी अनाथ को अपने मातृत्व का संबल दे सकूं तो
शायद यही मेरा महापरिनिर्वाण होगा

साभार 🙏