अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं।
रूख हवाओं का जिधर है उधर के हम हैं
हम दौड़ में अव्वल आयें ये ज़रूरी नहीं,
हम सबको पीछे छोड़ दें ये भी ज़रूरी नहीं।
ज़रूरी है दौड़ में शामिल होना,
ज़रूरी है हमारा गिर कर फिर से खड़े होना।
ज़िन्दगी में इम्तेहान बहुत होंगे,
आज जो आगे हैं कल तेरे पीछे होंगे।
बस हम चलना मत छोड़ें,
बस हम लड़ना मत छोड़ें !!!