Adhyayan

Tuesday, 30 November 2021

मन का सूर्य ☀

सुबह हो गई है /
प्रमाण हैं इसके,
पेड़, पौधे, रेत  टीले  पहाड़ 
सब दृष्टिगत हो रहे हैं,
रास्ते भी स्पष्ट हो गए हैं! 
स्त्रियां द्वारे बुहार रही हैं /
शुभता चारों और फैली है,
और इस शुभता पर, 
हल्की सी धुंध ने डेरा डाल रखा है /
इस काली रात को, 
सुबह बनाने वाले,
तुम अब भी नहीं दिखे कभी,
खुली आँखों से, 
इस सुबह की ये सबसे बुरी बात है...
कि चाहिए एक लालिमा, 
इस कालिमा पर, 
प्रमाण को परिमाण की आवश्यकता है 
सुबह को सूर्य की आवश्यकता है
                   " तनु " 1/12/2015

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