1993 जून में बीकानेर की तपती दोपहरी की बात थी,
दरवाजे पर दस्तक हुई मैं नींद में अलसाई सी उठी।
दरवाजा खोलने पर गरम हवा का जबरदस्त थपेड़ा पडा़ और तपते सूरज की किरणों से आँखें चुँधिया गयी।
सामने बांधनी के रंगीन सूट में एक लड़की थी।
मैंने कहा - हाँ जी...
वो मुझे देखते हुए बोली, आपके बगल के कमरे में आँटी जी रहती है वो हैं क्या?
आप उनका दरवाजा खटखटाईये...
हाँ, मैंने किया पर कोई असर नहीं।
अच्छा मैं अंदर से देखती हूँ।
हमारा वरांन्डा एक ही था।
ऊपर से छत भी खुली हुई थी ताकि रोशनी और हवा का अच्छा आवाजाही हो।
मैं अंदर उनके सारे कमरे घूम कर आ गयी शायद वो लोग घर में नहीं हैं।
आकर उसको बोला, कोई नहीं है घर में।
बाद में देखना।
वो बोली अच्छा, अब कल आऊँगी, मैं उनसे सिलाई सीखने आई थी हमें कालेज का एक प्रोजेक्ट बनाना है उसके लिए चाहिए।
अच्छा...फिर अब ?
कल आऊँगी कहते हुए वो आगे बढ़ गयी।
ठीक है कहते हुए मैंने भी दरवाजा ढाँप दिया और एक कुर्सी पर बैठी।
नींद से जगा दिया इसने अब क्या करूँ बोर हो जाऊँगी और उफ इतनी गर्मी।
सो गयी थी तो पता नहीं चल पाया।
फिर उसको ही मन में याद किया कि ये इतनी गर्मी में कैसे आ गयी।
बाहर तो निकलने का ही नहीं हो रहा है।
और अचानक याद आया कि अरे हद हो गई मैं उसको अंदर बैठने के लिए कह सकती थी उसको पानी पूछना था।
हालांकि फ्रिज़ नहीं था मटके का पानी तो.... ओ हो।
मैंने झपटते हुए दरवाजा खोला और दौड़ कर बाहर आई कि दिखेगी तो आवाज़ दूँगी और बुला लूँगी।
पर नहीं दिखी और मुझे भी तो वहाँ आए एक हफ्ता ही हुआ है बाहर निकल कर देखा तक नहीं है कि कौन सी गली कहाँ जाती है।
अफसोस हो गया अब तो कुछ भी नहीं किया जा सकता है, यूँ भी घर से पहली बार निकली हूँ पता भी नहीं था कि पूछते भी हैं।
अगले दिन फिर से दस्तक हुई दरवाजा खोला तो सामने फिर एक युवती। हम उम्र
मैंने कहा आप कल भी आई थीं क्या?
वो बोली - हाँ, मंडीवाल आँटी जी से कुछ सामान बनवाना है और कुछ सीखना भी है।
मैंने जल्दी से कहा अच्छा आप अंदर आ जाईये बाहर बहुत गर्मी है, खूब तप रहा है।
वो बोली राजस्थान है जी ये तो होगा ही।
हाँ बात तो सही है आप बैठिए मैं आंटी जी को देखती हूँ।
अंदर देखा तो फिर कोई नहीं था।
आपने उनको बताया था कि आप आने वाली हैं क्योंकि आप कल भी आए थे।
नहीं सुबह कालेज चले जाते हैं और अभी वो मिल नहीं रही हैं हमने उनसे सीखने के लिए बात करनी है।
ओह अच्छा।
अच्छा मैं शाम को कह दूँगी आपका नाम बता दीजिए।
उसने बताया सरोज सहारण नाम है उसका।
लिख दीजिए नाम तो याद रहेगा आपकी कास्ट याद नहीं आएगी।
हमारे उधर नहीं होते हैं न।
वो बोली कहाँ से हो आप।
नैनीताल...
नैनीताल?
वो जो पिक्चर में आता है अरे बड़ी सुन्दर जगह है वो तो।
अपना मन तो फूल कर कुप्पा हो गया।
हाँ बहुत खूबसूरत है।
वैसे राजस्थान भी बहुत सुंदर है।
अभी देखा नहीं है सब काम वगैरह सैट हो जाए तो देखने जाऊँगी।
वो बोली चलना मेरे साथ बहुत दोस्त हैं और घर आना माँ पिताजी से मुलाकात होगी और दो भाई बहन हैं।
सिर्फ दोस्त ही नहीं मिली पूरा परिवार मिल गया।
फिर पानी कुछ देर बाद रूह आफजा शर्बत आदि के साथ बातें होते होते अटूट रिश्ता बन गया।
जिंदगी के अहम् फैसला तुझसे पूछा और तू फिक्र मत करना सब कुछ ठीक चल रहा है।
आज तक कई कहानियां गढ़ रहे हैं।
तब से अब तक कोई दिखता ही नहीं कि जिससे दिल की बात की जा सके।
जो अन्तर्मन को छू सके।
अब तो लोगों से सिर्फ़ कहा जाता है, बताया जाता है, महसूस कोई नहीं करता !