Adhyayan

Wednesday, 29 December 2021

आत्म अभिव्यक्ति

मैं कुछ लिखना चाहती हूँ
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ
मेरा स्वप्न घरोन्दा छोटा था
पर सुन्दर सा ज्यों स्वर्ग समान
टूट गया, अब यादों के हेतु
रेत में रेखाचित्र बनाती हूँ, 
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ! 

यूँ नहीं विचार-शून्य मन हो
शान्त हृदय का प्रांगण हो
अनवरत प्रश्नों की महानदी में
तृण-मात्र बहा जाती हूँ
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ! 

सुनहली चाँदनी की स्याही से
आकाश पटल के कागज़ पर
कल्पना की कूची ले कर
कुछ चित्रित किया चाहती हूँ
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ! 

हे विधा! कैसा तुमने खेल किया
जीवन का ऐसा अजब आलेख किया
जीवन के इस कठिन मोड़ पर
तुमसे कई प्रश्न किया चाहती हूँ
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ! 

संध्या निशि सिंगार कर रही
है तिमिर साम्राज्य छाने को
इसी तम को मैं मान मित्रवत
हृदय की बात किया चाहती हूँ
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ! 

उतने मीठे गीत हैं होते
जितनी होती उन में पीड़ा
हृदय-भर अपनी इस पीड़ा से
एक गीत रचा चाहती हूँ
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ! 

जिव्हा जब उसे कह नहीं पाती
तब पीड़ा आँखों में भर आती है
अश्रु-बूंदें बहुत कुछ कह जाती हैं
जाने कब से नीर बहाती हूँ
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ! 

वेदना की क्या अभिव्यक्ति?
अश्रु समझ तुम सके नहीं
आँसूओं को ढाल शब्दों में
इन्हें मुखर करना चाहती हूँ
किन्तु अभिव्यक्ति नहीं पाती हूँ!

Saturday, 11 December 2021

छुअन

तुम्हारे हाथों की छुअन... :)

अपने फ़लक के चांद को
कुछ सोचते हुए मैंने
खींच कर छुटाया
और थोड़ा दायीं ओर करके
फिर चिपका दिया
हाँ, अब सप्तर्षि ठीक से दिखता है
पर ऊपर की तरफ़ वो चार सितारे
अभी भी कुछ जँच नहीं रहे
ह्म्म
चलो इन्हें थोड़ा छितरा देती हूँ
लेकिन इससे जगह कम हो जाएगी
थे ः9धऔर हाँ, नीचे की ओर ये कई तारे
कुछ अधिक ही सीध में नहीं लग रहे ?

मैं इसी उधेड़-बुन में थी
अपने घर के आकाश को
सजाने की धुन में थी
कि तभी तुम आये
मेरे चेहरे पर छाई
दुविधा देख
तुम मुस्कुराये
कुछ पल गगन निहारा
फिर अपनी अंजुली में
समेट लिया आकाश सारा
पूरा चांद और हर इक तारा,

मैं चौंक कर अपनी उधेड़-बुन से निकली
मुझे अचरज में देख
तुम खिल-खिलाकर हँस पड़े
और बड़ी चंचलता से तुमने
सारे सितारे फिर से
आकाश में यूं ही बिखेर-से दिए

मेरी हैरत असीम हो गई!
हर सितारा अपनी जगह
तरतीब से टंक गया था
चांद भी अचानक
कुछ अधिक ही
सुंदर लगने लगा
और सारा आकाश
एकदम व्यवस्थित हो गया
फिर तुम करीब आकर
मेरे कांधे पर हाथ रख
बैठ गये!
मैं आश्चर्य की प्रतिमूर्ती बनी
कभी आकाश को, कभी तुम्हें
कभी तुम्हारे सुंदर हाथों को
देखती ही रह गयी

कुछ तो हुनर है
तुम्हारे हाथों की छुअन में
कि हर चीज़ सज जाती है
सलीके से
चाहे वो ज़िन्दगी हो या आकाश !
"तनु"

Wednesday, 1 December 2021

Deep in to eyes

दिल चाहता है 

"When Tara comes to Sid's place to look at the paintings made by Sid, she just gazes very deeply at each painting and says, "Isme bhi vahi baat". Sid is curious to know what she means and what she's found in his paintings. So when Sid asks her, she explains: 

"आज मैंने तुम्हारे बारे में एक बात जानी है। कहने को तुम लोगों से हँसते हो, बोलेतेे हो l लेकिन तुम्हारे अंदर जो दुनिया है , तुम्हारे ख़्वाब , तुम्हारे सपने, वो तुम किसी से नही बाटते। मुझे तो लगता है जो लोग तुम्हें जानते है, वो भी तुम्हें ठीक से नहीं जानते ।"

( Today I learned something about you. Even though you interact and laugh with people, there's a world inside you that you don't share with them. In fact I feel that even the people who claim to know you, don't really know you). 

And I was just stunned at these lines..these lines were exactly written for the thousands of people in whom deep inside, there is someone like Siddharth. How often do we want to share or tell something to someone but we just don't, not because we don't have anyone, but the reason is just that we can't. It's just within you. I was just wonderstruck by this scene, it's like Tara said these lines to me. This scene made me realise that there is someone who knows exactly what I feel, I realised that someone is there who knows me. It's not just that she knew what's inside me, but she knew what even I didn't know about me. 

I rewind this scene again and again just to listen to Tara's dialogues..
it's so profound and calming to me. Thanks Tara for making me believe that a stranger too can understand us. Thanks Tara for reaffirming my faith in the kindness of strangers. Thanks Tara for introducing me to myself. Thanks Tara for the kind words!!"